Saturday, February 29, 2020

ताहिर फ़राज़

कोई आंसू जो कागज़ भिगो जाएगा
मीर  जैसा कोई शेर हो जाएगा

एक मिसरा हूँ एक मिसरा हो तुम
दोनों मिल जाएँ तो  शेर हो जाएगा

घर पहुँच कर खुशी तो मिलेगी मगर
घर पहुँच कर सफर ख़तम हो जाएगा

वो तबस्सुम जो रुखसत करेगा तुझे
मेरी पलकों में मोती पिरो जाएगा

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जो मिला उससे गुज़ारा ना हुआ
जो हमारा  था वो हमारा न हुआ

हम किसी और से मंसूब हुए
क्या ये नुक्सान तुम्हारा ना हुआ

बे-तकल्लुफ भी वो हो सकते थे
हमसे ही कोई इशारा ना हुआ


दोनों एक दुसरे पे मरते रहे
कोई अल्लाह को प्यारा ना हुआ

रुख पैर हवा के चल के डेझ लिया
दो कदम लड़खड़ा के देख लिया
दश्त जैसा ही दी का हाल रहा
घर को जन्नत बना के देख लिया

कुछ न निकला सिवा आइना
हमने पर्दा उठा के देख लिया

मैं न कहता था बाज़ आ जाओ
गैर से दिल लगा के देख लिए

आईने में जो बाल आया है
तुमने क्या मुस्कुरा के देख लिया
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इसकी फिरत ठहरना नहीं है ये सफर इन्ताही करेगी
लाख हम इसके नखरे उठाएं ये जिंदगी बेवफाई करेगी

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मौत सच है ये बात अपनी जगह जिंदगी का श्रृंगार करते रहो
नफ़ा नुक्सान होता रहता है प्यार का कारोबार करते रहो

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नज़र ना आऊं तो ढूंढें उचक उचक के मुझे
हो सामने तो वो देखे झिझक झिझक के मुझे

मैं भागती  हुई दुनिया की ज़द में आ जाऊं
तेरे ख्याल ना कच्चे अगर लपक के मुझे

किसी भी वक़्त चमक सकता हूँ में एक पल को
कहीं गवा नहीं देना पालक झपक के मुझे

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ये हिचकिया मुझे आ रही हैं मुझे रुक रुक के
करे है कोई दिल याद मुझे धड़क धड़क के मुझे

ख़ुशी  ख़ुशी उसे दिल से निकाल से निकाल दूँ मुझे
वो मांगता है दुआओं में सिसक सिसक के मुझे

मुशाये की ये शोहरत खूब होती है
पसंद करने लगे लोग अब सड़क के मुझे

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ताहिर फ़राज़

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