Sunday, January 12, 2020

तरह तरह के वजूद

तरह तरह के वजूद
लेकर एक ही रूह

धुँधली सी हर  राह
क्या खायिश क्या चाह

धागे से बुने उधड़ते 
दिल के रिश्ते हज़ार 

सुकून को है बैचैन
थक गए जगते नैन

बोझिल तपते दिन
शाम को ताके रैन

भावार्थ
१२/१/२०२०