Saturday, January 20, 2018

बुरा जो खोजन मैं चला बुरा न मिलया कोय

बुरा जो खोजन मैं चला बुरा न मिलया कोय
जो दिल खोजा  आपना मुझसा बुरा न कोय

चाह गयी चिंता मिटी मनुआ बेपरवाह
जिनको कछु न चाहिए सो शाहन के शाह

ज्ञानी ध्यानी और सयंमी दाता  सूर अनेक
जपिया तपिया बहुत हैं शीलवंत कोई एक

सुख का सागर शील है कोई न पावे थाह
शब्द  बिना साधू नहीं द्रव्य बिना नहीं शाह

शीलवन्त निर्मल दशा पाँव पड़े चहुँ खूंट
कहे कबीर ता दास की आस करे बैकुंठ

संत कबीर 

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