रखना शुमार तू मुझे अपनी दुआओं में
भुला न देना कहीं जाके मायावी बाहों में
पतझड़ से पहले ही ये दरख़्त सूख जाएँ
नहीं इतना भी हौंसला इन फ़िज़ाओं में
उफक के पार ले जाने का हुनर है जिसमें
ख़ाक में मिटा दे कुछ ऐसी बात हवाओं में
बात कुछ भी नहीं इन हुस्न की मंजिल में
कशिश की हद तो है मोहब्बत की राहों में
खुदा के घर में रहा तू पाक तो क्या सबब
जो गिर चुका है तू अपनी ही निगाहों में
रखना शुमार तू मुझे अपनी दुआओं में
भुला न देना कहीं जाके मायावी बाहों में
भावार्थ
२६/०४/२०१६
भुला न देना कहीं जाके मायावी बाहों में
पतझड़ से पहले ही ये दरख़्त सूख जाएँ
नहीं इतना भी हौंसला इन फ़िज़ाओं में
उफक के पार ले जाने का हुनर है जिसमें
ख़ाक में मिटा दे कुछ ऐसी बात हवाओं में
बात कुछ भी नहीं इन हुस्न की मंजिल में
कशिश की हद तो है मोहब्बत की राहों में
खुदा के घर में रहा तू पाक तो क्या सबब
जो गिर चुका है तू अपनी ही निगाहों में
रखना शुमार तू मुझे अपनी दुआओं में
भुला न देना कहीं जाके मायावी बाहों में
भावार्थ
२६/०४/२०१६
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