सफर में धुप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम निकला कसको तो चलो
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिरा के अगर तुम संभल सको तो चलो
किसी के लिए वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को खुद ही बदल सको तो चलो
यही है जिंदगी कुछ खाब और चंद उमीदें
इन्ही खिलोनो से तुम भी बहाल सको तो चलो
सफर में धुप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम निकला कसको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम निकला कसको तो चलो
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिरा के अगर तुम संभल सको तो चलो
किसी के लिए वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को खुद ही बदल सको तो चलो
यही है जिंदगी कुछ खाब और चंद उमीदें
इन्ही खिलोनो से तुम भी बहाल सको तो चलो
सफर में धुप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम निकला कसको तो चलो
निदा फ़ाज़ली
1 comment:
Nida words always touchy..... One of great Modern Urdu shayar
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