ये क्या जगह है दोस्तों ये कौन सा दयार है
हद-ए -निगाह तक जहाँ गुबार ही गुबार है
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मेरे हिस्से के जमीं बंज़र थी मैं वाकिफ न था
बेसबब इलज़ाम मैं देता रहा बरसात को
शारयर
हद-ए -निगाह तक जहाँ गुबार ही गुबार है
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मेरे हिस्से के जमीं बंज़र थी मैं वाकिफ न था
बेसबब इलज़ाम मैं देता रहा बरसात को
शारयर
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