हर रूह में है जब तन्हाई बसी
कौन है जिन्दा इस दुनिया में
सब के सब तो अब आम हुए
है कौन चुनिंदा इस दुनिया में
हर कोई तो बन बैठा खुदा
है कौन बाशिंदा इस दुनिया में
मन की कैद में है हर कोई
न है आज़ाद परिंदा इस दुनिया में
भावार्थ
कौन है जिन्दा इस दुनिया में
सब के सब तो अब आम हुए
है कौन चुनिंदा इस दुनिया में
हर कोई तो बन बैठा खुदा
है कौन बाशिंदा इस दुनिया में
मन की कैद में है हर कोई
न है आज़ाद परिंदा इस दुनिया में
भावार्थ