खुदा तोय कैसे बूझूँ मैं
खुदा तोय कैसे बूझूँ मैं
है तेरी ये पूरी ही कायनात
क्यों तेरी फिर भी कोई जगह नहीं
हर शय में है गर मौजूद तू
क्यों तू है फिर भी किसी नज़र नहीं
खुदा तोय कैसे बूझूँ मैं
खुदा तोय कैसे बूझूँ मैं
जो है नमाज़ों की इबादात में बसा
क्यों दिलों में तू है समाता नहीं
जो तू है आयतों के अलफ़ाज़ में
क्योँ तू लबों पे फिर नज़र आता नहीं
खुदा तोय कैसे बूझूँ मैं
खुदा तोय कैसे बूझूँ मैं
इन बाज़ारों में जो ढूढ़ा तुझे
बस तेरा नाम बिकता नज़र आया
इन पहारों में ढूढ़ा तुझे
फ़कीर तेरे नाम जपता नज़र आया
खुदा तोय कैसे बूझूँ मैं
खुदा तोय कैसे बूझूँ मैं
भावार्थ
खुदा तोय कैसे बूझूँ मैं
है तेरी ये पूरी ही कायनात
क्यों तेरी फिर भी कोई जगह नहीं
हर शय में है गर मौजूद तू
क्यों तू है फिर भी किसी नज़र नहीं
खुदा तोय कैसे बूझूँ मैं
खुदा तोय कैसे बूझूँ मैं
क्यों दिलों में तू है समाता नहीं
जो तू है आयतों के अलफ़ाज़ में
क्योँ तू लबों पे फिर नज़र आता नहीं
खुदा तोय कैसे बूझूँ मैं
खुदा तोय कैसे बूझूँ मैं
इन बाज़ारों में जो ढूढ़ा तुझे
बस तेरा नाम बिकता नज़र आया
इन पहारों में ढूढ़ा तुझे
फ़कीर तेरे नाम जपता नज़र आया
खुदा तोय कैसे बूझूँ मैं
खुदा तोय कैसे बूझूँ मैं