हुए दिन कितने किसीके किस्से नहीं सुने...
फुर्सत नहीं देखी चैन के फ़साने नहीं सुने...
दिल के गुबार लोगों के जेहेन पे हावी हैं..
दिल से किसी ने उनके अफसाने नहीं सुने...
कोई तो बात है जो आज वो गमसुम है...
दिलबर ने उल्फत के फकत तराने नहीं सुने...
उसके उसके दिल कि बात लबो में पढ़ी...
आँखों से बोलते अल्फाज़ अनजाने नहीं सुने...
तलाश में सुकून के क्या नहीं सुना उसने ...
उसने शायद कभी शेर कुछ पुराने नहीं सुने...
भावार्थ
फुर्सत नहीं देखी चैन के फ़साने नहीं सुने...
दिल के गुबार लोगों के जेहेन पे हावी हैं..
दिल से किसी ने उनके अफसाने नहीं सुने...
कोई तो बात है जो आज वो गमसुम है...
दिलबर ने उल्फत के फकत तराने नहीं सुने...
उसके उसके दिल कि बात लबो में पढ़ी...
आँखों से बोलते अल्फाज़ अनजाने नहीं सुने...
तलाश में सुकून के क्या नहीं सुना उसने ...
उसने शायद कभी शेर कुछ पुराने नहीं सुने...
भावार्थ
3 comments:
wah wah!!
... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
Thanks a lot for your time and comments...
Post a Comment