मुझे मालूम है मतलबी है...
ये दुनिया जो इर्द गिर्द घुली है...
तुम मगर दिल खोल के देते रहो...
आस के बादल जब जब बुलाओगे...
प्यासे के प्यासे ही रह जाओगे...
फुल की तरह खिलते रहो...
हवा की तरह चलते रहो...
मुझे मालूम है मतलबी है...
ये दुनिया जो इर्द गिर्द घुली है...
तुम मगर दिल खोल के देते रहो...
मुट्ठी में रेत जितनी कस के रही है...
हाथ से उतनी ही जोर से ये बही है...
क्यों चाहते हो कुछ बदले में मिले...
क्यों लेने देने के चलते रहे सिलसिले...
मुझे मालूम है मतलबी है...
ये दुनिया जो इर्द गिर्द घुली है...
तुम मगर दिल खोल के देते रहो...
अगर तुझको देने को है जो उसने चुना...
क्यों तमन्नाओ को बदले में तुमने चुना...
गिरने पे भी तुमको न दे सहारा तो क्या...
आपदा में कोई थामे न हाथ तुम्हारा तो क्या...
मुझे मालूम है मतलबी है...
ये दुनिया जो इर्द गिर्द घुली है...
तुम मगर दिल खोल के देते रहो...
हो अकेले तो समझो खुदा साथ है...
समय फेर ले मूह फिर भी उसका हाथ है..
मुस्कुरा , और लबो मुस्कुराहटें ले आ...
है गम में दबा उसके दामन में दे आ...
मुझे मालूम है मतलबी है...
ये दुनिया जो इर्द गिर्द घुली है...
तुम मगर दिल खोल के देते रहो...
...भावार्थ
1 comment:
bahut hi badhiya !!liked it!!
हो अकेले तो समझो खुदा साथ है...
समय फेर ले मूह फिर भी उसका हाथ है..
मुस्कुरा , और लबो मुस्कुराहटें ले आ...
है गम में दबा उसके दामन में दे आ...
Post a Comment