Saturday, February 8, 2014

न बोलूँ मैं तो कलेजा फूंके

न बोलूँ मैं तो कलेजा फूंके
जो बोल दूं तो जबां जले है
सुलग न जावे अगर  सुने वो 
जो बात मेरी  जबां  तले  हैं

न बोलूँ तो कलेजा फूंके
जो बोल दूं तो जबां जले है

लगे तो फिर यूँ कि रोग लागे 
न सांस आवे न सांस जावे
ये इश्क़ है नामुराद ऐसा
ये जान लेवे तभी टले है

न बोलूँ तो कलेजा फूंके
जो बोल दूं तो जबां जले है

हमारी हालत पे कित्ता रोवे है
आसमान भी तू देख लियो
कि सुर्ख हो जाएँ उसकी आँखें  भी
जैसे जैसे ये दिन ढले है

न बोलूँ तो कलेजा फूंके
जो बोल दूं तो जबां जले है

~ गुलज़ार ~

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