Saturday, July 20, 2013

काया नहीं तेरी नहीं तेरी

काया नहीं तेरी नहीं तेरी 
मत कर तू मेरी मेरी 

ये तो दो दिन की जिंदगानी 
जैसा पत्थर ऊपर पानी 
ये तो होवेगी फुल्ब्वानी 
काया नहीं तेरी नहीं तेरी !!!

जैसा रंग तरंग मिलावे 
ये तो पलक छपे उड़ जावे 
अंत कोई काम नहीं आवे 
काया नहीं तेरी नहीं तेरी !!!

सुन बात कहूं परमानी 
वहां की क्या करता गुमानी 
तुम तो बड़े हैं बेईमानी 
काया नहीं तेरी नहीं तेरी !!!

कहत कबीरा सुन नर ज्ञानी 
यह सीखत जड़अभिमानी 
तेरे को बात यही समझानी 
काया नहीं तेरी नहीं तेरी !!!

काया नहीं तेरी नहीं तेरी
मत कर तू मेरी मेरी 

~  कबीर ~ 

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