Thursday, July 22, 2010

आस !!!

दमन फैला के बैठा है वो...
सोचता है की तारे आ गिरेंगे...
सहमी सी रात कब तक रखेगी...
पेट से लटकाए इन तारों को...
खौफ में लहूँ आँखों से आ निकलता है...
कितने कदम और चलेंगी साँसे..
कितने पहर और चलेगी जिंदगी...
कितनी दफा दिया बुझ के जलेगा ...
बस सिर्फ राख में आग की सी आस है....
कहीं दबी दबी सी लगी है...
सिर्फ इसीलिए दामन फैला के बैठा है वो...

...भावार्थ

1 comment:

Kannan said...

This post is good.