Thursday, July 2, 2009

साँप !!!

मेरी जिंदगी में साँप हावी रहा ...
इसका फन उठता रहा और में बहता रहा...
मुझे कमजोर होने का एहसास होता रहा...
की जितना दूध इसको पिलाओगे...
प्यास को इसकी उतना ही बढाओगे...
कई बार जहर इसका जेहेन तक आया है....
मेरे उसूलों को इसने कई बार मिटाया है...
इक जंग थी वो जब में जवा था...
इसका सुरूर इस कदर चढा था...
रात बीन बन कर इसको लाती थी....
बेवजह मेरी नीयत बिगड़ जाती थी...
तन्हाई में मुझे अक्सर काटा इसने...
सोच और खयालो को ढाका इसने...
मैं और साँप कितनी रात लिपटे रहे...
जहरीला जामा मुझपे लाजवाबी रहा...
जिंदगी मैं साँप मुझपे इसकदर हावी रहा...

भावार्थ...

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