पानी बिच मीन प्यासी रे
मोय सुन सुन आवे हासी रे
घर में वस्तु नज़र न आवत
बन बन फिरत उदासी रे
आतम ज्ञान बिना जग झूठा
क्या मथुरा क्या काशी रे
संत कबीर
मोय सुन सुन आवे हासी रे
घर में वस्तु नज़र न आवत
बन बन फिरत उदासी रे
आतम ज्ञान बिना जग झूठा
क्या मथुरा क्या काशी रे
संत कबीर
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