एहसासों के कारवां कुछ अल्फाजो पे सिमेटने चला हूँ। हर दर्द, हर खुशी, हर खाब को कुछ हर्फ़ में बदलने चला हूँ। न जाने कौन सी हसरत है इस मुन्तजिर भावार्थ को।अनकहे अनगिनत अरमानो को अपनी कलम से लिखने चला हूँ.....
तेरे आने से
तेरे जाने से
रूह से लहू तलक
सांस के बस जाने से
बस बेकरारी
बस बेकरारी
जहर के असर सी
दर्द के कहर सी
तेरी याद में लिपटी
बेहोशी की दवा सी
बस बेकरारी
बस बेकरारी