ये घुंघराले खाब...
जो जेहेन में लिपटे है कहीं...
जो हैं भी किसी लकीर से महीन...
मुझेमें समंदर से हैं बिछे...
ये घुंघराले खाब...
दिन में बादल से बरसते...
रात भर तारो से लरजते...
सोच के किनारों पे सिमटे ...
ये घुंघराले खाब...
दिल में पिरोये हैं जो...
मुट्ठी में संजोये हैं जो...
आँखों में चमकते...
ये घुंघराले खाब...
कभी तस्वीर-ए-यार लिए...
कभी आईना-ए-अफकार लिए...
अनकहा इज़हार लिए...
ये घुंघराले खाब...
...भावार्थ
1 comment:
achhe hain khaab jab tak ankon mein band hain .....jab aankh khul jaaye to ghunghrale ho jaate hain....!!nice one!!
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