Wednesday, December 23, 2009

रात

रात भर मैंने सपने तराशे हैं...
अब जी चाहता है न ये आखें खुलें...

बीते कल की छेनियाँ जेहेन पे है चली...
सर्द रातो को उठा धुआं ठिठुरता ही रहा...

बोलती रही रात अंधेरे से अपनी कही...
रूठी बैठी रही चांदनी कौने में कहीं...

लड़खड़ाते बादल अलाव पर आ कर रुके...
आंच पर जमे रहे रात के पुर्जे सभी...

...भावार्थ

Monday, December 21, 2009

उस रोज !!!

खाबो को सिरहाने बिठा...
नींद ने जब लोरियां सुनायीं...
रात को फूंक से बिखेर...
अँधेरे ने जो कहानियां सुनायीं...
मुझे माँ याद आई...
भोली सी वो जाँ याद आई...

तन्हाई के बादल के सीने से...
बूँद एक एक जब छलकी...
मेरे वजूद की बेपनाह आह...
बिखरी परछाई से जो छलकी...
मुझे माँ याद आई...
भोली सी वो जाँ याद आई...

दर्द के उबाल सांचे में...
मेरे जो ढलते नज़र आने लगे ....
उम्र के दराज़ इकसार साए में...
मेरे जो बनते नज़र आने लगे ...
मुझे माँ याद आई....
भोली सी वो जाँ याद आई...

खायिशें की कड़ी जुड़ कर भी...
जब किसी रहगुज़र से न जुडी...
पाक रिश्ते की एक गाँठ भी जिंदगी में...
जब किसी अजनबी से न जुडी...
मुझे माँ याद आई...
भोली सी वो जाँ याद आई...

...भावार्थ

Thursday, December 17, 2009

तेरी मुस्कराहट !!!

तेरे लबो पे सजी...
होठो मैं दबी...
आखों से चली...
तेरी ये मुस्कराहट....
मेरे तनहा ख्यालो पे...
खोयी सी निगाहों पे...
दिल के गिरहो पे...
बस गयी....
तेरी ये मुस्कराहट...
तुम्हारी शरारत लिए...
बेपनाह चाहत लिए...
मासूमियत मैं लिपटी...
तेरी ये मुस्कराहट...
मेरे दिल मैं बसा गम ले गयी...
कसक थोड़ी कम कर गयी...
ख़ुशी से आखें नम कर गयी...
तेरी ये मुस्कराहट...

भावार्थ...

Monday, December 14, 2009

एहसास का सौदा है !!!

एहसास का सौदा है...
जज्बात की कीमत है...
दौलत की नुमाईश में...
हर चीज़ इजारत है...

हर खाब है चाँदी का...
हर आरजू सोना है...
सदियों से ये औरत....
मर्द का खिलौना है...

जिस्मो की जवानी तक...
मजबूर मोहब्बत है...
दौलत की नुमाईश में...
हर चीज़ इजारत है...

मतलब की हर यारी...
रिश्ते हैं अदाकारी...
रंगीन मकामो पे...
हर शख्स है व्यापारी...

मक्कार इनायत है...
अय्याश शरारत है...
दौलत की दुनिया में...
हर चीज़ इजारत है...

वादों ने रुलाया है...
चाहत ने सताया है...
जो दुःख है वो अपना है...
जो सुख है वो पराया है...

जीना ही मुसीबत है...
जीना ही जरूरत है...
दौलत की नुमाईश में ...
हर चीज़ इजारत है...

निदा फाजली !!!

Wednesday, December 2, 2009

इकरार !!!

बूँद और सेहरा की तड़प लिए ...
ये लौ आज फ़िर दिए में जली...
नज़रे मेरी पयाम-ऐ-इश्क लिए...
उसकी निगाहों के दरमियाँ चली...
टूक भर निहारा, दर्द न हुआ गवारा...
थाम लिया आगोश ने जकड के...
मनो बुत टूटने ही वाली हो...
ख्यालों के झरोखे से हसरत...
उसके आगोश में डूबने ही वाली हो..
परदे और झीने होते गए...
साये एक एक कर खोते गए...
दो रूह और रात की तन्हाई ...
हाथ में हाथ लिए बैठे रहे...
देखते रहे एक दूजे को....

...भावार्थ