Thursday, June 2, 2011

ये घुंघराले खाब !!!

ये घुंघराले खाब...

जो जेहेन में लिपटे है  कहीं...
जो हैं भी किसी लकीर से महीन...
मुझेमें समंदर से हैं बिछे...

ये घुंघराले खाब...

दिन में बादल से बरसते...
रात भर तारो से लरजते...
सोच के किनारों पे सिमटे ...

ये घुंघराले खाब...

दिल में पिरोये हैं जो...
मुट्ठी में संजोये हैं जो...
आँखों में चमकते...

ये घुंघराले खाब...

कभी तस्वीर-ए-यार लिए...
कभी आईना-ए-अफकार लिए...
अनकहा इज़हार लिए...

ये घुंघराले खाब...

...भावार्थ 





Wednesday, June 1, 2011

हर दफा..!!!

तुझसे मिलकर..
तुझसे बिछुड़ कर...
मैं रहा बेसब्र..
हर दफा...हर दफा...

मय का हर घूँट...
नशे का हर कश...
मुझमें हुआ कैद  ...
हर दफा...हर दफा...

तुझे भुलाने को ...
याद मिटाने को...
आंसू का सैलाब ...
हर दफा...हर दफा...

शाम ढलने तलक...
सहर ओढ़े फलक..
मैं मौत से  उलझा...
हर दफा...हर दफा...

..भावार्थ