आज इस दर्जा पिला दो के न कुछ याद रहे...
बेखुदी इतनी बढ़ा दो के न कुछ याद रहे...
आज इस दर्जा पिला दो के न कुछ याद रहे ...
दोस्ती क्या है, वफ़ा क्या है मुहब्बत क्या है...
दिल का क्या मोल है एहसास की कीमत क्या है...
हमने सब जान लिया है के हकीकत क्या है...
आज बस इतनी दुआ दो के न कुछ याद रहे...
आज इस दर्जा पिला दो के न कुछ याद रहे ...
मुफलिसी देखी, अमीरी की अदा देख चुके...
गम का माहौल, मसर्रत की खिजा देख चुके...
कैसे फिरती है ज़माने की हवा देख चुके...
शम्मा यादों की बुझा दो, के न कुछ याद रहे...
आज इस दर्जा पिला दो के न कुछ याद रहे...
इश्क बेचैन खयालो के सिवा के कुछ भी नही...
हुस्न बेरूह उजालों के सिवा कुछ भी नही...
जिंदगी चाँद सवालों के सिवा कुछ भी नही ...
हर सवाल ऐसे मिटा दो के न कुछ याद रहे ...
आज इस दर्जा पिला दो के न कुछ याद रहे ...
मिट न पायेगा जहाँ से कभी नफ़रत का रिवाज...
हो न पायेगा कभी रूह के ज़क्मों का इलाज...
सल्तनत ज़ुल्म, खुदा वहम मुसीबत है समाज...
ज़हन को ऐसे सुला दो के न कुछ याद रहे...
आज इस दर्जा पिला दो के न कुछ याद रहे...
बेखुदी इतनी बढ़ा दो के न कुछ याद रहे...
आज इस दर्जा पिला दो के न कुछ याद रहे...
साहिर लुधियानवी...