Friday, April 23, 2010

सीप !!!

हर जिंदगी इक सीप है ...
किसकी में मोती है तो किसी मैं नहीं...
किसी में सिर्फ रेत भरा है...
मगर हर सीप...
समय के समंदर में लहराता ...
किनारा पाने को आतुर है...
करोडो सीपों में से एक मोती वाला सीप...
कौन सा है ये , कोई नहीं जानता...
बिलकुल जिंदगी की तरह...

...भावार्थ

1 comment:

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भाव.