Tuesday, January 26, 2016

ये इनायतें गज़ब की, ये बला की मेहरबानी

ये इनायतें गज़ब की, ये बला की मेहरबानी
मेरी खैरियत भी पूछी, किसी और की ज़बानी

मेरा ग़म रुला चुका है तुझे बिखरी ज़ुल्फ वाले
ये घटा बता रही है, कि बरस चुका है पानी

तेरा हुस्न सो रहा था, मेरी छेड़ ने जगाया
वो निगाह मैने डाली कि संवर गयी जवानी

मेरी बेज़ुबान आंखों से गिरे हैं चन्द कतरे
वो समझ सके तो आंसू, न समझ सके तो पानी

नज़ीर बनारसी

Monday, January 25, 2016

ग़रज़ बरस प्यासी धरती पे फिर पानी दे मौला

ग़रज़ बरस प्यासी धरती पे फिर पानी दे मौला 
चिड़ियों को दाने  बच्चों  को गुडधानी दे मौला 

दो और दो का जोड़ हमेशा चार कहाँ होता है
सोच समझ वालों को थोड़ी नादानी दे मौला

चिड़ियों को दाने  बच्चों  को गुडधानी दे मौला 

फिर रोशन कर जहर का प्याला चमका नयी सलीबें
झूठों की दुनिया में सच को ताबानी दे मौला

चिड़ियों को दाने  बच्चों  को गुडधानी दे मौला 

फिर मूरत से बाहर आ कर चारों ओर  बिखर जा
फिर मंदिर को कोई मीरा दीवानी दे मौला

चिड़ियों को दाने  बच्चों  को गुडधानी दे मौला 

तेरे होते कोई किसी की जान का दुश्मन क्यों हो
जीने वालों को मरने की आसानी दे मौला

ग़रज़ बरस प्यासी धरती पे फिर पानी दे मौला 
चिड़ियों को दाने  बच्चों  को गुडधानी दे मौला 

निदा फ़ाज़ली !!!

ताबानी: Light
सलीबें : Cross





Sunday, January 24, 2016

निदा फ़ाज़ली !!!

खुसरो रैन सुहाग की सो जागी पिय के संग
तन मोरा मन पिहू का सो दोनों एक ही रंग

अमीर खुसरो

माँ खुदा का मोजजा हरदम रहे जवान
जब बूढी होने लगे बन जाए संतान

स्टेशन पर  ख़त्म की  भारत तेरी खोज
नेहरू ने लिखा नहीं कुली के सर का बोझ

जिस पंछी के वास्ते पेड़ बने भगवान
पिंजरे में रख के उसे  प्यार करे इंसान

निदा फ़ाज़ली !!!





Sunday, January 17, 2016

Monday, January 11, 2016

Saturday, January 2, 2016

जीन मरण के चाक से छूटे क्या कर जाएँ जीवन में


दरिया से निकलने की कोशिश जारी है

दरिया से निकलने की कोशिश जारी है
जीना मुहाल है और मौत में बेकरारी है

मन का बहलाना  तो बड़ा ही आसान था 
मन का लगाना ही तो बड़ी दुशवारी   है

भावार्थ
०२/०१/२०१६








Friday, January 1, 2016

बीत गए दिन भजन बिना रे

बीत गए दिन भजन बिना रे
भजन बिना रे भजन बिना रे

बाल अवस्था खेल गवाओ
आई जवानी तब मान धुना रे

लाहे कारण मूल गवाओ
अबहू न गयी मन की तृष्णा रे

संत कबीर 





पानी बिच मीन प्यासी रे

पानी बिच मीन प्यासी रे
मोय सुन सुन आवे हासी रे

घर में वस्तु नज़र न आवत
बन बन फिरत उदासी रे

आतम ज्ञान बिना जग झूठा
क्या मथुरा क्या काशी रे

संत कबीर