Wednesday, December 30, 2015

नैया थक गयी हार

हो गए वो सब पार
नैया थक गयी हार

इस करवट कभी उस करवट
लहरों की छाती को थामे केवट
लेकर दो पतवार
नैया थक गयी हार

हो गए वो सब पार
नैया थक गयी हार

बूझे नदी में न कोई डगर
मंजिल दीसे सबको मगर
सोचत सब मझधार
नैया थक गयी हार

हो गए वो सब पार
नैया थक गयी हार

उतरे सब पर थाह न जानी
अपने मन की चाह न जानी
भूल भुलैया ये संसार
नैया थक गयी हार

हो गए वो सब पार
नैया थक गयी हार

भावार्थ
३०/१२/२०१५ 


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