Saturday, June 6, 2015

तू जरा इंतज़ार तो कर



तू जरा इंतज़ार तो कर
मैं जरूर लौटूंगा तेरे आगोश में

मत पौंछ आँखों से काजल की लकीर ये काली
मत मिटा तू लबो पर बिखेरी  सुर्ख़ ये लाली

तू जरा  श्रृंगार  तो कर
तू जरा इंतज़ार तो कर
मैं जरूर लौटूंगा तेरे आगोश में

तेरी हंसी में छुपा जो गम है वो मेरी याद है
पा कर सबकुछ  जो कम  है वो मेरी याद है

जरा सा ऐतबार तो कर
तू जरा इंतज़ार तो कर
मैं जरूर लौटूंगा तेरे आगोश में

मेरे दर्द को अलफ़ाज़ बन पड़ना है नसीब
तेरे दर्द को आँखों से फट पड़ना है नसीब

तू दर्द का इज़हार तो कर
तू  जरा इंतज़ार तो  कर
मैं जरूर लौटूंगा तेरे आगोश में

तू जरा इंतज़ार तो कर
मैं जरूर लौटूंगा तेरे आगोश में
होके बेसब्र टूटूंगा तेरे आगोश में

भावार्थ
७/६/२०१५









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