Saturday, May 9, 2015

न मस्जिद है न मंदिर है

न मस्जिद है न मंदिर है
जो है तेरे दिल के अंदर है

ओख प्यासे की तू भर 
वो उसके लिए समंदर है

कर सके जो दवा-ए-दर्द
तू  ही सच्चा पैगम्बर है

जीत सके तो दिल को जीत
जो तू असल सिकंदर है

भावार्थ
१०/०५/२०१५



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