Saturday, March 28, 2015

घर अपने काशी शिव आएं

घर अपने काशी  शिव आएं
भक्त अभिलाषी शिव आएं

जर्जर घाट पे बहती मैया 
इसमें चलती निर्जर नैया 
मेरे धर्म का कौन खिवैया
गंगा के निवासी शिव आएं
घर अपने काशी शिव आएं

भक्त अभिलाषी शिव आएं
घर अपने काशी  शिव आएं

दृष्टि युक्त अँधा संसार
आडम्बर का होता व्यपार
पाप का सर पे है अम्बार
सब संकट नाशी शिव आएं
घर अपने काशी शिव आएं

भक्त अभिलाषी शिव आएं
घर अपने काशी  शिव आएं


भावार्थ
२९/०३/२०१५






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