Saturday, February 14, 2015

न है आज़ाद परिंदा इस दुनिया में

हर रूह  में है जब तन्हाई बसी
कौन है जिन्दा इस दुनिया में

सब के सब तो अब आम हुए
है कौन चुनिंदा इस दुनिया में

हर कोई तो बन बैठा खुदा 
है कौन बाशिंदा इस दुनिया में

मन की कैद में है हर कोई
न है आज़ाद परिंदा इस दुनिया में

भावार्थ

इश्क़ की दास्ताँ है प्यारी

इश्क़ की दास्ताँ है प्यारे
अपनी अपनी जुबान है प्यारे

हम जमाने से इंतकाम लेंगे
इक हंसी दमियां है पप्यारे

तू नहीं मैं हूँ मैं नहीं तू है
अब कुछ ऐसा गुमान है प्यारे

रख कदम फूंक फूंक कर नादाँ
जर्रे जर्रे में जान है प्यारे

जिगर मुरादाबादी





Sunday, February 1, 2015

कांच का रास्ता

कांच का रास्ता कदम पत्थर के
बताओ हम भला मंजिल पाएं कैसे
लबो पे  बसा है जाल छालों का 
बताओ हम भला मुस्कुराएं कैसे 

भावार्थ 







शारयर

ये क्या जगह है दोस्तों ये कौन सा दयार है
हद-ए -निगाह तक जहाँ गुबार ही गुबार है
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मेरे हिस्से के जमीं बंज़र थी मैं वाकिफ न था
बेसबब  इलज़ाम  मैं   देता  रहा  बरसात को

शारयर