Monday, December 1, 2014

जिंदगी कैसे भला तुझे बुलाएं हम

जिंदगी कैसे भला तुझे  बुलाएं हम
तू जो आये तो जरा मुस्कुराये हम

कल आज और कल का जो चरखा है
कैसे इसमें से तुझे बुन के लाएं हम

जिंदगी कैसे भला तुझे बुलाएं हम

बस लहू  का बहना भी कोई जीना है
इश्क़ को सांस अपनी जो नबना पाएं हम

जिंदगी कैसे भला तुझे बुलाएं हम

जो मोहब्बत है सफर तो वफ़ा हमदम है
बेवफाई से बता मंजिल कैसे पाये हम

जिंदगी कैसे भला तुझे बुलाएं हम

तेरा अक्स शायद मुझमें कहीं महफूज है
तेरी खातिर आईने से  नज़र आएं हम

जिंदगी कैसे भला तुझे बुलाएं हम

जिंदगी कैसे भला तुझे  बुलाएं हम
तू जो आये तो जरा मुस्कुराये हम

~  भावार्थ ~ 









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