Saturday, August 16, 2014

मौत मेरी उजाला हो

जींद चाहे अँधेरा हो
मौत मेरी उजाला हो

ठुकरा दे मुझे यादाश्त
जेहेन ने बस संभाला हो


बहरूपिया है ये वक़्त
क्या इसपर एतबार आये
खुली रहे मेरी आँखें
जो नींद आये तो एकबार आये

कैसे करू गुरूर-ए-वजूद
जिसे उसने माटी में ढाला हो



जींद चाहे अँधेरा हो
मौत मेरी उजाला हो

ठुकरा दे मुझे यादाश्त
जेहेन ने बस संभाला हो


काठी को खा जाएगा 
एक दिन मौत का दीमक 
जगमगाता सा तू जुगनू 
बुझ जाएगा बन के दीपक 

बन जायेगा वो ही रकीब 
जिसे दोस्त सा तूने पाला हो 


जींद चाहे अँधेरा हो
मौत मेरी उजाला हो 

ठुकरा दे मुझे यादाश्त
जेहेन ने बस संभाला हो 


भावार्थ 








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