Tuesday, April 1, 2014

जियो तो ऐसे जियो कि

जियो तो ऐसे जियो कि

बच्चे तुम्हारे साथ खिलखिलाने आयें
बात अपनी दुनिया की तुम्हें बताने आयें

तुम्हारे  दर से कभी कोई भूखा न जाए
गैर भी खुद को अपनों सा सरीका पाये

जियो तो ऐसे जियो कि

बिना मतलब के भी दोस्त मिलकर जाएँ
बीते हुए कल कि यादों पे खुलके हंसकर जाएँ

तुम्हारा हाथ खाली  हो फिरभी  दिल भरा हो
दिए जाने का जज्बा भीतर कभी  न मरा हो

जियो तो ऐसे जियो कि

तुम्हारी बात से अपनों को कोई गम न हो
तुम्हारी वजह से  आँख कोई भी नम न हो

गर तुम्हें दर्द हो तुम्हें तो हज़ारों दुआएं उठें
अकेले निकलों जो कभी तो साथ को राहें उठें

जियो तो ऐसे जियो कि

तुम्हारे  जाने पर अपने आसूं बहाएं
ख़ाक पे आकर अनजान भी दुआ देजाए

तेरे जाने पे लोग कहें क्या खूब जिया था
इसने जिंदगी को नहीं जिंदगी ने इसको जिया था

~ भावार्थ ~



















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