Sunday, January 5, 2014

तिलिस्म

जुड़े हुए हो अपनों से तो जिन्दा हो
तिलिस्म है ये तेरे इर्द गिर्द बसा
जो तुझे जीते जी मार रहा है भाव
कौन रखता है नोटों का बीघों का हिसाब
मौत से बढ़कर  तन्हाई का दर्द है
आज दिल को अपनों में लगा
बुढ़ापे का अँधेरा आने ही वाला है भाव.…

भावार्थ


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