Sunday, September 1, 2013

ओ कान्हा !!!

मेरा करदे बेडा पार ओ कान्हा
मुझे भाये नहीं संसार ओ कान्हा

पांच भूत से बनी ये काया
इस काया में बसी है माया
माया ने ये जाल बिछाया

मुझे माया से कर दे पार ओ कान्हा
मेरा करदे बेडा पार ओ कान्हा

जित देखूं तित तुझको पाऊँ
हिरदे बिच में तुझको बसाऊँ
तुझको बिसरूं तो मर जाऊं

ऐसा करदे तू उद्धार ओ कन्हा
मुझे भाये नहीं संसार ओ कान्हा

एक जोत से सब दीपक जलते
एक नाम से सब जीव है पलते
एक सांचे में सब तन ये ढलते

मुझे खुद में कर इकसार ओ कान्हा
मुझे भाये नहीं संसार ओ कान्हा

अहम् के मारे क्रोध है उपजा
क्रोध के मारे विष है उपजा
विष के मारे दैत्य है उपजा

इस दैत्य को दे तू मार ओ कान्हा
मुझे भाये नहीं संसार ओ कान्हा

मेरा करदे बेडा पार ओ कान्हा
मुझे भाये नहीं संसार ओ कान्हा

भावार्थ 
२८ अगस्त २०१३ , जन्माष्टमी, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र ( जीवन परिवर्तन की गुहार)

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