Friday, July 26, 2013

साधो ये मुर्दों का गाँव …

साधो ये मुर्दों का गाँव …
पीर मरिहे पैगम्बर मरिहे
मरिहे जिन्दा जोगी
राजा  मरिहे परजा मरिहे
मरिहे वैध और रोगी

साधो ये मुर्दों का गाँव …
चन्दा मरिहे सूरज मरिहे
मरिहे धरती आकाशा
चौदह भुवन की चौधरी मरिहे
इन हूँ से का आशा

साधो ये मुर्दों का गाँव …
नौ हूँ मरिहों दस हूँ मरिहैं 
मरिहे सहज अट्ठासी 
तेतीस कोटि देवता मरिहे
बड़ी काल की फांसी

साधो ये मुर्दों का गाँव …
नाम अनाम अनन्त रहत है
दूजा  तत्व न होई
कहे कबीर सुनो भाई साधो
भटक मत मरो कोई

~ कबीर~ 

Saturday, July 20, 2013

काया नहीं तेरी नहीं तेरी

काया नहीं तेरी नहीं तेरी 
मत कर तू मेरी मेरी 

ये तो दो दिन की जिंदगानी 
जैसा पत्थर ऊपर पानी 
ये तो होवेगी फुल्ब्वानी 
काया नहीं तेरी नहीं तेरी !!!

जैसा रंग तरंग मिलावे 
ये तो पलक छपे उड़ जावे 
अंत कोई काम नहीं आवे 
काया नहीं तेरी नहीं तेरी !!!

सुन बात कहूं परमानी 
वहां की क्या करता गुमानी 
तुम तो बड़े हैं बेईमानी 
काया नहीं तेरी नहीं तेरी !!!

कहत कबीरा सुन नर ज्ञानी 
यह सीखत जड़अभिमानी 
तेरे को बात यही समझानी 
काया नहीं तेरी नहीं तेरी !!!

काया नहीं तेरी नहीं तेरी
मत कर तू मेरी मेरी 

~  कबीर ~