Saturday, July 21, 2012

इश्क की धुंध...

इश्क की धुंध...
इश्क की धुंध ...

तलाश जिसमें  गुम  हुई ...
प्यास जिसमें फिर न रही...
तू जिसमें तू नहीं में जिसमें मैं नही ...

इश्क की धुंध ...
इश्क की धुंध...

निगाह के उस फलक तक...
रूह के जिस्म तलक तक...
मेरी चाह से तेरी चाह तक...

इश्क की धुंध...
इश्क की धुंध...

खाबो के दरमियाँ...
है यहाँ जो है वहां...
ओस का जो हैं जहां...

इश्क की धुंध...
इश्क की धुंध...

भावार्थ


Friday, July 20, 2012

है कोई तो जरूर बात...

है कोई तो जरूर बात...
है कोई तो जरूर बात...

वहशी हुई हर नज़र है क्यूं...
सनसनी सी हर खबर है क्यूं...
चीखता सा ये दिन है क्यों...
क्यूं जागती से रहती  है रात....

है कोई तो जरूर बात...

हैवानियत के ये नृत्य क्यूं...
लालाच के  हैं ये कृत्य क्यूं...
हुक्मरान की ये दरिंदगी ...
क्यों सत्य के कोई नहीं है साथ...

है कोई तो जरूर बात...

भावार्थ...

Sunday, July 8, 2012

सच है वक़्त बदल रहा है...

सच है वक़्त बदल रहा है...
कागज़ पे अलफ़ाज़ नहीं रहे...
गुलजारों में कूकते साज नहीं रहे...
छुप सकें अपनों में वो राज नहीं रहे...

सच है वक़्त बदल रहा है...
जमीन को पूजने वाले किसान नहीं रहे...
नयी सोच लिए नौजवान नहीं रहे...
तिरंगे के जूनून के निशान नहीं रहे...

सच है वक़्त बदल रहा है...
रिश्तो में वो मिठास नहीं रही...
खुदा से बाशिंदों को आस नहीं रही...
दुआएं लिए माँ अब पास नहीं रही...

सच है वक़्त बदल रहा है...

भावार्थ...




Friday, July 6, 2012

जागने की भी जगाने की भी आदत हो जाए...

जागने की भी जगाने की भी आदत हो जाए...
काश तुझे भी किसी शायर से मोहब्बत हो जाए...
दूर हम कितने दिनों से हैं ...
फिर न कहना अमानत ख़यानत  हो जाये...
जुगनुओं तुमको नए चान्द उगने होंगे...
इससे पहले की अंधेरो की हुकूमत हो जाए...
उखड़े पड़ते हैं मेरी कब्र के पत्थर हर दिन...
तुम जो आ जाओ किसी दिन तो मरम्मत हो जाये...

खुश्क दरियाओं में हलकी सी रवानी और है...
रेत के नीचे अभी पानी और हो....
बोरिये पर बेठिये कुल्हड़ में पानी पीजिये।...
हम कलंदर है हमारी मेजबानी और है...

राहत इन्दौरी !!!