Monday, March 19, 2012

मेरी तमन्नाओ का बाज़ार तू...

अब की हम खेलय होरी पर रंग नहीं सुहाय...
बिरह घोर अन्गुरियन में अंसुअन दिए लगाय...

नज़रो का रंग तू  गालो का गुलाल तू...
दिन का आफताब तू शब् का हिलाल तू....

मंजर हुआ नसीब जहाँ खुद को दिया भुलाय...
बिरह घोर अन्गुरियन में अंसुअन दिए लगाय...

में गर गुल तो गुलज़ार तू...
मेरी  तमन्नाओ का बाज़ार तू...

बिसरा के होश खुद को कमली दिया बताय...
बिरह घोर अन्गुरियन में अंसुअन दिए लगाय...

अब की हम खेलय होरी पर रंग नहीं सुहाय...
बिरह घोर अन्गुरियन में अंसुअन दिए लगाय...

भावार्थ...

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