Thursday, March 15, 2012

गर खुदा है तो !!!

गर खुदा है तो फिर क्यों नज़र नहीं आता...
दुआ हैं तो उनका क्यों असर नहीं आता...

फिर नदी से गुजरा फिर एक सिक्का फैंका...
जूनून-ए-मज़हब सर से क्यों उतर  नहीं जाता...

अपनों को छोड़ गैरों को खैरात बांटते लोग ...
बौराए  लोगो का  दौर अब क्यों गुजर नहीं जाता...

वीरानो की तलाश में भागती भीड़ देखो...
माँ के साए में कोई क्यों रहकर नहीं जाता...

जो देखो वही लत-ए-जिंदगी का शिकार हुआ...
इस बद-हवासी से कोई क्यों बचकर नहीं जाता...

दौलत के जखीरे न जाने किस समंदर में गुम हों...
मुस्कुराहट किसी और के नाम क्यों कर नहीं जाता...

गर खुदा है तो फिर क्यों नज़र नहीं आता...
दुआ हैं तो उनका क्यों असर नहीं आता...

भावार्थ...

2 comments:

Anonymous said...

khuda to hai sirf nazar hi nahi aata hai.
uski maujoodgi ka ehsaas har lamha hausla dilata hai.

Anonymous said...

khuda to hai sirf nazar hi nahi aata hai.
uski maujoodgi ka ehsaas har lamha hausla dilata hai.