Thursday, December 8, 2011

प्यार कभी इकतरफा होता है न होगा...

प्यार कभी इकतरफा होता है न होगा...
दो रूहों के एक मिलन की जुड़वां पैदाईश है ये ...
प्यार अकेला जी नहीं सकता...
ये जीता है तो दो में ...
मरता है तो दो मरते हैं...
प्यार एक बहता दरिया है...
झील नहीं है जिसको दो किनारे बाँध के बैठे रहते हैं...
सागर नहीं है किसका किनारा नहीं होता...
बस दरिया है जो बहता रहता है...
दरिया जैसे चढ़ जाता है ढल जाता है...
चलना ढलना प्यार में वो सब होता है...

पानी की आदत है ऊपर से नीचे की जानिब बहना...
नीचे से फिर  भाग के सूरत ऊपर उठना...
बादल बन आकाश में बहना...
कापने लगता है जब तेज हवाएं छेड़ें...
बूँद बूँद सा फिर बरस जाता है...

प्यार एक जिस्म के साज पे बजती गूँज नहीं है
न मंदिर की आरती है न पूजा है...
प्यार नफा है न लालच है...
न लाभ न हानि कोई...

गुलज़ार

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