Wednesday, November 30, 2011

आज कल हमारी मोहब्बत का जिक्र है...

आज कल हमारी मोहब्बत का जिक्र है...
तुझे इश्क  और मुझे ज़माने की फ़िक्र है...

किस तरह पलता  मेरा इश्क दुनिया में..
उसे चिराग बुझाने मुझे जलाने की फ़िक्र है...

इश्क के दो पहलू इसी तरह से रहे... 
उसे हवस और मुझे इश्क निभाने की फ़िक्र है...
ये नहीं की उसके इरादे नेक नहीं...
मुझे हवा की उसे भीतर के आदम की फ़िक्र है...


भावार्थ...

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