Saturday, October 29, 2011

जिंदगी...

मकसद से जो मेरे उफनती है जिंदगी...
उसूलों से वही फिर मेरे डरती है जिंदगी...
आजमाती है  दुनिया की कसौटी पे जुनूँ मेरा...
और ढह जाती है पानी सी फिर वही जिंदगी...

भावार्थ... 

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