Wednesday, May 18, 2011

धुंधली राह !!!

धुंधली राह और डगमगाते कदम...
न जाने कितनी दूर तक मेरी जिंदगी जायेगी...

बेहोशी हमको कहाँ ले कर चली ...
न जाने होश की सुबह ये कब आएगी..

हथेली पे ये जो सजाया है महल...
न जाने कब ये आँख मेरी खुल जायेगी...

तुम हो भी और फिर हो भी नहीं...
न जाने तुम्हारी याद कब तक आएगी..

आंसूं नहीं हैं अब बह रह है  लहू...
न जाने कब तक  तेरी तस्वीर रुलाएगी...

कभी वफ़ा के लिए तो कभी बेवफाई के लिए... 
कब तक तुझसे मेरी शख्शियत युही जोड़ी जायेगी.....

कब तक तुझसे मेरी शख्शियत युही जोड़ी जायेगी.....
न जाने कितनी दूर तक मेरी जिंदगी जायेगी...  

भावार्थ... 






3 comments:

sarita said...

flawless..

Crystal Clear said...

Nice one!

संजय भास्‍कर said...

एक और सुन्दर कविता आपकी कलम से !