Friday, December 3, 2010

सौदा !!!

मुझसे मौत का सौदा कर जिंदगी...
या फिर दे जीने का जिगर जिंदगी...

धुंधला रहा है क्यों उजाले का वजूद...
हटा जरा ये आंसू-ए-नज़र जिंदगी...

हमदम की वफ़ा भी एक फ़साना थी...
तन्हाई में दे मुझे अब बसर जिंदगी...

कालिख ओढ़ कर आई है ये रात...
चीख-ए-महरूम को दे असर जिंदगी...

तरस रहा है जेहेन उनकी याद से आज...
मौत दे या उनके आने की खबर जिंदगी...

मुझसे मौत का सौदा कर जिंदगी...
या फिर दे जीने का जिगर जिंदगी...

...भावार्थ

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