Monday, December 27, 2010

दीदार-ए-साईं !!!

दिन का रास्ता है मुश्किल...
शाम-ए-मंजिल आ ही जाए...
नजरो में बसता है मेरा दिल..
दीदार-ए-साईं  हो ही जाए...

इससे पहले रूह धुंए में खो जाए...
इससे पहले काय लौ हो जाए...
जागता हुआ ये वजूद सो जाए...
दीदार-ए-साईं हो जाए...

भावार्थ...

मूह की बात !!!

मूह की बात  सुने हर कोई...
दिल का दर्द न जाने कौन...
आवाजों के बाजारों में ....
ख़ामोशी पहचाने कौन..

सदियों सदियों वही तमाशा...
रास्त रास्ता लम्बी
लेकिन जब हम मिल जाते हैं...
खो जाता है जाने कौन...


आवाजों के बाजारों में ....
ख़ामोशी पहचाने कौन..
मूह की बात  सुने हर कोई...


वो मेरा आईना है या ...
में उसकी परछाई हूँ...
मेरे ही घर में रहता है...
मुझ जैसा ही जाने कौन...


आवाजों के बाजारों में ....
ख़ामोशी पहचाने कौन..
मूह की बात  सुने हर कोई...


किरण किरण अलसाता सूरज...
पलक पलक खुलती नींदें...
धीमे धीमे बिखर रहा है ...
जर्रा जर्रा जाने कौन...


आवाजों के बाजारों में ....
ख़ामोशी पहचाने कौन..
मूह की बात  सुने हर कोई...

निदा फजली !!!

Sunday, December 26, 2010

ये पीने वाले !!!

ये पीने वाले बहुत ही अजीब होते है ...
जहाँ से  दूर और ख़ुद के करीब होते हैं...

किसी को प्यार मिले और किसी को रुसवाई...
मोहब्ब्र के ते सफर भी अजीब होते हैं...

मिला किसी को है क्या सोचिये अमीरी से...
दिलों के शाह तो अक्सर गरीब होते हैं...

यहाँ के लोगों की है खाशियत ये सबसे बड़ी...
हबीब लगते है  लेकिन रकीब होते हैं...

फिराक गोरखपुरी  ...

दश्तूर !!!

तेरे मुस्कुराने और नैन मिलाने का दश्तूर...
मुझे बिन कहे इस तरह पास बुलाने का दश्तूर..

वो छोटी सी रात मैं लम्बी लम्बी सी बातें...
गोद में रख के सर मेरा  तारे गिनाने का दश्तूर...

तेरी आँख की नमी और  तेरी तन्हाई लिए...
कागज़ पे हर्फ़ लिख लिख कर मिटाने का दश्तूर...

गुफ्तगू-ए-मोहब्बत जो लम्हों में कैद है...
घंटो तक मेरे सुनने और तुम्हारे सुनाने का दश्तूर...

कुछ भी कहना तुम्हारा बातों बातों में...
ख़ुद का रूठना और फिर मेरे मनाने का दश्तूर...


तेरे मुस्कुराने और नैन मिलाने का दश्तूर...
मुझे बिन कहे इस तरह पास बुलाने का दश्तूर..


...भावार्थ

Saturday, December 18, 2010

असमंजस !!!

आज मेरा दर्द भी उसको नज़र आया होता...
काश जो खुदा ने ये दिल आंख सा बनाया होता...

मेरे आस पास तू मेरे गम को तलाशता रहा...
काश घर के कौनो में भी तू कभी आया होता...

मैं भूलती चली गयी ख़ुद को तेरे आगोश में ...
काश तुझसे बिछुड़ने का ख़याल भी आया होता...

बीतता हुआ हर पल आज का कल नहीं लौटेगा ...
काश हर एक लम्हे को तुने जिंदगी बनाया होता...

आज मेरा दर्द भी उसको नज़र आया होता...

काश जो खुदा ने ये दिल आंख सा बनाया होता...  


...भावर्थ

Friday, December 3, 2010

सौदा !!!

मुझसे मौत का सौदा कर जिंदगी...
या फिर दे जीने का जिगर जिंदगी...

धुंधला रहा है क्यों उजाले का वजूद...
हटा जरा ये आंसू-ए-नज़र जिंदगी...

हमदम की वफ़ा भी एक फ़साना थी...
तन्हाई में दे मुझे अब बसर जिंदगी...

कालिख ओढ़ कर आई है ये रात...
चीख-ए-महरूम को दे असर जिंदगी...

तरस रहा है जेहेन उनकी याद से आज...
मौत दे या उनके आने की खबर जिंदगी...

मुझसे मौत का सौदा कर जिंदगी...
या फिर दे जीने का जिगर जिंदगी...

...भावार्थ