Friday, August 6, 2010

कुछ !!!

आज की बात फिर नहीं होगी...
ये मुलाकात फिर नहीं होगी...
ऐसे बादल तो फिर भी आयेंगे...
ऐसी बरसात फिर नहीं होगी...
आज फिर तू हुआ मुझको महसूस...
क्या ये रात फिर नहीं होगी...
एक नज़र मुड़ के देखने वाले...
क्या ये खैरात फिर नहीं होगी...

जाने
वाले हमारी महफ़िल से ...
चाँद तारों को साथ लेता जा...
हम खिजाओं से निभा कर लेंगे...
तू बहारों को साथ लेता जा..

कोई हँसे तो तुझे गम लगे हंसी न लगे...
के दिल्लगी भी तेरे दिल को दिल्लगी न लगे ...
तो रोज़ रोया करी उठ के चाँद रातो में...
खुदा करी तेरा मेरा बिघैर जी न लगे...

राहत फ़तेह अली खान...

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