Sunday, July 18, 2010

हाफ कट चाय !!!

सुबह की उबासी तभी जाती है...
जब हाफ कट चाय लब छूती है...
स्वाद कहाँ से आता है पता नहीं...
मगर कुछ बात है इस चाय में...


कितनी बार अधूरी कहानी ले कर...
अधूरी नज़्म या कोई आगाज़ ले कर...
मैं बैठा हूँ टी-स्टाल के मूडे पे...
और चाय के जायके से बस...
अंजाम मिला है मेरे अफकार को...



कभी तुलसी की महक ...
कभी अदरक का अर्क....
कभी इलायची की खुश्बू
तो कभी काली मिर्च पिसी...
इसमें घुली मिलती है...



इसीलिए इतने ख्याल...
जेहेन आ में पाते हैं शायद...
हाफ कट मसाला चाय...
और मेरी रचनाये हमराज है...



....भावार्थ

hamraaj hain

1 comment:

समयचक्र said...

हाफ कट चाय पीने का नजरियाँ कुछ और ही रहता है... बहुत बढ़िया रचना ..