Wednesday, November 25, 2009

पल !!!

राहें हैं बादल, चांदनी है मंजिल...
सर्द सी हवा है और तुम हमसफ़र...

हैं बेचैन बाहें , हैं मदहोश निगाहें...
खामोश लब है थमा सा ये मंजर...

सुर्ख लाल जोड़े , जो तुझको हैं ओढ़े...
हया की मूरत को न लगे ये नज़र...

..भावार्थ

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