Saturday, August 1, 2009

निशाँ !!!

खोद कर दफ़न कर दिया...
फूंक दिया उपलों के टेल...
मिटा दिया हमेशा के लिए...
निशाँ मगर बाकी हैं उसके...
मेरी बाहों में उसकी खुशबू...
मेरी रातो में उसकी यादें...
मेरे जेहेन में उसके ख़याल...
ऐसे तैरते हैं जैसे वो जिन्दा है...
दो गज जमीन के नीचे....
सुलगती लकडियों के दरमियान...
उड़ती हवा के इर्द गिर्द...

भावार्थ ...

1 comment:

SILKY said...

wah wah kya deadly khayal hain!!!!!