Thursday, July 23, 2009

न था कुछ तो खुदा था,

न था कुछ तो खुदा था, कुछ न होता तो खुदा होता
डुबोया मुझे को होने ने, न होता "मैं " तो क्या होता


हुआ जब गम से यूँ बेहिस तो गम क्या सर के कटाने का
न होता गर जुदा तन से तो ज़नाजो पर धरा होता


हुई मुद्दत के 'ग़लिब' मर गया पर याद आता है
वो हर एक बात पे कहना के यू.न होता तो क्या होता

...मिर्जा गालिब

2 comments:

Anonymous said...

वो हर एक बात पे कहना के यू.न होता तो क्या होता...
nice line
nice lines
...carry on writing there are few fans who visit your blog regularly ..
so kindly keep writing ....for others..
keep smiling and have a great day ahead!!

mannu said...

Love u sir galib ,aap Na hote toh ye din bhi kahan hota