Friday, June 12, 2009

सुबह !!!

कोई आया और सुबह सुबह धुप बो गया...
सिली सिली सी सुबह उबलने लगी...
फुदकते लोग, चहकते पंछी,मचलते हौसले...
कुछ एक पल को थम गए...
यकायक ही बादल नरेश गुजरे ....
बड़ी सी परछाई लाये...
और सुबह को उढा दी पूरी की पूरी...
फुदकते लोग,चहकते पंछी,मचलते हौसले...
कुछ एक पल को जी गए...

भावार्थ

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