Saturday, January 24, 2009

हादसा !!!

सुनाई नहीं देता बहरे हो ?
रेल आ रही थी सामने से...
देखाई नहीं देता अंधे हो ?
अभी जान चली जाती तो...
चुप क्यों हो गूंगे हो क्या ?
में पूछ रही हूँ कुछ "हेलो मिस्टर"...

नेहा ने उस अजनबी को झकझोर दिया...
फट पड़ा आंसू का लावा अजनबी आंखों से...

किसके लिए जियूं ?
एक वो ही थी मेरी अपनी ...
और फ़िर क्यों जियूं ?
जब मकसद ही नहीं कोई ...
क्या गलत है उससे मिलने का ख्याल ?
उसने भी यहीं जा दी है कल ...

अजनबी ने तान्या को झकझोर दिया...
फट पड़ा आंसू का लावा नेहा की आँखों से...

..भावार्थ

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