Tuesday, January 27, 2009

नक़श फ़रयादी ..मिर्जा गालिब

नक़श फ़रयादी है किस की शोख़ी-ए तहरीर का
काग़ज़ी है पैरहन हर पैकर-ए तसवीर का

काव-काव-ए सख़त-जानीहा-ए तनहाई न पूछ
सुबह करना शाम का लाना है जू-ए शीर का

जज़बह-ए बे-इख़तियार-ए शौक़ देखा चाहिये
सीनह-ए शमशीर से बाहर है दम शमशीर का

आगही दाम-ए शुनीदन जिस क़दर चाहे बिछाए
मुदद`आ `अनक़ा है अपने `आलम-ए तक़रीर का

बसकि हूं ग़ालिब असीरी में भी आतिश ज़ेर-ए पा
मू-ए आतिश-दीदह है हलक़ह मिरी ज़नजीर का

...मिर्जा गालिब

1 comment:

Anonymous said...

solid urdu!!